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पूज्य गुरुदेव का जीवन परिचय

आपने गुरु की खोज करते हुए हरिद्वार कनखल श्री सूरत गिरी बंगला के आचार्य महामंडलेश्वर अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी महेश्वरानंद गिरी जी महाराज की शरण में आ गए तथा दीर्घ समय तक महाराज जी की सेवा में रहे, एवं श्री महाराज जी की प्रेरणा से ही वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आपने व्याकरण ,वेदांत एवं दर्शनशास्त्र से आचार्य किया एवं पीएचडी की आपने 22 वर्ष की अवस्था में प्रयागराज कुंभ सन 1954 में मोनी अमावस्या के दिन सन्यास दीक्षा ग्रहण की ।

अनंतर सन 1962 तक वेद वेदांत का अध्ययन किया फिर पूरे भारतवर्ष के सुदूर क्षेत्रों में आपने वेदांत दर्शन का प्रचार प्रसार किया । सन 1971 में राजस्थान के तीर्थ गुरु पुष्कर राज ,जहां श्री ब्रह्मा जी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, इसी तीर्थ में ऋषियों की तपस्थली पंचकुंड क्षेत्र के समीप पूज्य गुरुदेव ने धर्म प्रचार हेतु श्री गिरीशानंद आश्रम ट्रस्ट की स्थापना की 1972 से आश्रम में अन्नक्षेत्र, व संत,ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिए व आने जाने वाले यात्रियों के लिए आवास व भोजन की व्यवस्था शुरू की ।

जो निरंतर आज तक चल रही है आपने धर्म एवं वेदांत के प्रचार प्रसार को बढ़ाते हुए पंजाब प्रांत के बरनाला जनपद में सन 1995 में श्री नित्यानंद संयास आश्रम की स्थापना की जहां पंचदेव द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं विभिन्न दिव्य मंदिरों की स्थापना की । सन 2006 में पूज्य गुरुदेव ने पुष्कर एवं बरनाला आश्रम के युवराज के रुप में श्री स्वामी रामानंद गिरी जी को दोनों आश्रमों का उत्तराधिकारी घोषित किया । सन् 2008 से पूज्य गुरुदेव ने पुष्कर व बरनाला आश्रम का संपूर्ण कार्यभार श्री रामानंद गिरि जी को सौंप दिया ।
तथा स्वयं कथा प्रवचन आदि से निवृत्त होकर, गंगा तट हरिद्वार, व बरनाला एवं पुष्कर आश्रम में अपनी देव साधना में रत हो गए विक्रम संवत 2073 माघ अमावस्या शनिवार 28 जनवरी 2017 को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में 4:00 बजे पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन हो गए उनकी अंतिम इच्छा अनुसार उनके पार्थिव शरीर को ससम्मान हरिद्वार , गंगा जी में जल समाधि दी गई । पूज्य गुरुदेव का हरिद्वार, पुष्कर, बरनाला , व काशी में षोडशी भंडारा किया गया । एवं प्रतिवर्ष पूज्य गुरुदेव जी के पुण्यतिथि पर बरनाला व पुष्कर आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, तथा सायं कालीन पुष्कर सरोवर की महाआरती का भी आयोजन किया जाता है।
पूज्य गुरुदेव के कार्यों को विस्तार करते हुए आज भी श्री स्वामी रामानंद गिरी जी उनके मार्गदर्शन अनुसार बरनाला व पुष्कर आश्रम के विकास कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

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श्री गिरीशानंद आश्रम ट्रस्ट पुष्कर धाम का परिचय

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की यज्ञ स्थली और अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली तीर्थराज पुष्कर धाम में नगर के बाहर प्राकृतिक आध्यात्मिक वातावरण में अरावली पर्वत की तलहटी में पंच कुंड मार्ग पर शांत एकांत स्थल पर परम वीतरागी संत शिरोमणि श्री श्री 1008 स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज ने अपनी तपस्या एवं साधना से संतो ,भक्तों एवं सदगृहस्थों तथा अध्ययन प्रेमी विद्यार्थियों की सुविधा के लिए श्री गिरीशानंद आश्रम ट्रस्ट का सन् 1971 में निर्माण किया है।

पूज्य गुरुदेव ने आश्रम के सुचारू रूप से संचालन एवं वहां जनकल्याणकारी प्रवृत्तियों के लिए आश्रम के ट्रस्ट का निर्माण कर दिया है । जिसका नाम श्री गिरीशानंद आश्रम ट्रस्ट पुष्कर धाम है ।

ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं

♦ साधु संत महात्माओं एवं दिन भूखे व असहाय व्यक्तियों को भोजन प्रदान करना ।
♦ जो साधु संत, वह ध्यान ,सत्संग ,साधना निमित्त आश्रम में रहना चाहे उन्हें आवास व भोजन प्रदान करना ।
♦ जो वानप्रस्थ गृहस्थ सपत्नीक आश्रम में भजन साधना हेतु रहना चाहे उनके भोजन व आवास की व्यवस्था करना।
♦ जो विद्यार्थी संस्कृत व वेदों का अध्ययन करना चाहें नियम पूर्वक रहे उनके लिए अध्ययन, आवास व भोजन की व्यवस्था करना ।
♦ आश्रम में गौशाला चलाना ।
♦ आश्रम में निशुल्क औषधालय चलाना ।
♦ आश्रम के द्वारा भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के विकास कार्य करना ।
♦ समाज के उत्थान के लिए कल्याण कारी कार्य करना ।
♦ संस्कृत विद्यालय या वेद विद्यालय चलाना ।
 
श्री गिरीशानंद आश्रम ट्रस्ट का आयकर विभाग में पंजीकरण कराया जा चुका है।

यह संस्थान आयकर धारा 80G व 12A के तहत कर मुक्त है। व यह संस्थान सीएसआर फंड के लिए भी स्वीकृत है ।

अतः समस्त भगवत अनुरागी सज्जनों से प्रार्थना है, कि आश्रम का लाभ उठाएं तथा संस्थान की मानव कल्याणकारी प्रवृत्तियों के संचालन हेतु अधिकाधिक धनराशि सहायता करके आश्रम के सफल संचालन में सहयोग कर यशस्वी बने ।

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दु ख भाग भवेत्।
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