पूज्य गुरुदेव का जीवन परिचय
पूजनीय अर्चनीय परमहंस वीतराग श्रोत्रीय ब्रह्मनिष्ठ अनंत श्री विभूषित श्री श्री १००८ स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज का आविर्भाव मथुरा जिले के कोसी खुर्द ग्राम में हुआ था, आपका जन्म ब्राह्मण कुल में सन 1932 में हुआ, बाल्यावस्था से ही आपकी वैराग्य वृत्ति रही तथा आपने 12 वर्ष की अवस्था में आपने ग्रह का त्याग कर दिया। आपने गुरु की खोज करते हुए हरिद्वार कनखल श्री सूरत गिरी बंगला के आचार्य महामंडलेश्वर अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी महेश्वरानंद गिरी जी महाराज की शरण में आ गए तथा दीर्घ समय तक महाराज जी की सेवा में रहे, एवं श्री महाराज जी की प्रेरणा से ही वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आपने व्याकरण ,वेदांत एवं दर्शनशास्त्र से आचार्य किया एवं पीएचडी की आपने 22 वर्ष की अवस्था में प्रयागराज कुंभ सन 1954 में मोनी अमावस्या के दिन सन्यास दीक्षा ग्रहण की,अनंतर सन 1962 तक वेद वेदांत का अध्ययन किया ।
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पूज्य गुरुदेव का जीवन परिचय

पूजनीय अर्चनीय परमहंस वीतराग श्रोत्रीय ब्रह्मनिष्ठ अनंत श्री विभूषित श्री श्री १००८ स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज का आविर्भाव मथुरा जिले के कोसी खुर्द ग्राम में हुआ था, आपका जन्म ब्राह्मण कुल में सन 1932 में हुआ, बाल्यावस्था से ही आपकी वैराग्य वृत्ति रही तथा आपने 12 वर्ष की अवस्था में आपने ग्रह का त्याग कर दिया। आपने गुरु की खोज करते हुए हरिद्वार कनखल श्री सूरत गिरी बंगला के आचार्य महामंडलेश्वर अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी महेश्वरानंद गिरी जी महाराज की शरण में आ गए तथा दीर्घ समय तक महाराज जी की सेवा में रहे, एवं श्री महाराज जी की प्रेरणा से ही वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आपने व्याकरण ,वेदांत एवं दर्शनशास्त्र से आचार्य किया एवं पीएचडी की आपने 22 वर्ष की अवस्था में प्रयागराज कुंभ सन 1954 में मोनी अमावस्या के दिन सन्यास दीक्षा ग्रहण की,अनंतर सन 1962 तक वेद वेदांत का अध्ययन किया ।

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